झारखंड में एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) चलाने वाली महिला को चप्पल की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि महिला राशन होने के बावजूद भी ग्रामीणों को नहीं देती थी जिससे ग्रामीण नाराज हो गए और महिला को चप्पल की माला पहनाकर घुमाय। चप्पल की माला पहनाकर घुमाया घटना दुमका जिला के गोपीकांदर प्रखंड में डीलर सुमरी महारानी को चप्पल की माला पहनाया और फिर मधुबन गांव से दुर्गापुर तक घुमाया। ग्रामीणों का आरोप है कि महिला ने चार महीने से ठीक तरीके से राशन का वितरण नहीं किया। इस मामले पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया है ग्रामीण यही आरोप लगा रहे हैं कि महिला पीडीएस डीलर कई महीनों से राशन वितरित नहीं कर रही।

ग्रामीणों ने किया सड़क जाम और विरोध
इस मामले में गोपोकांदर थाना प्रभारी रंजीत मंडल ने कहा, विरोध प्रदर्शन के तहत गोविंदपुर-साहेबगंज राज्य राजमार्ग को आधे घंटे से अधिक समय तक जाम रखा गया। किसी तरह पुलिस के हस्तक्षेप के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने गांव वालों को राशन समय पर मिलने का आश्वासन दिया और जाम हटा।

कालाबाजारी का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि कालाबाजारी हो रही है इसी वजह से उन्हें राशन नहीं मिल रहा है। स्थानीय कालाबाजारी अधिकारी (बीडीओ) गौतम मोदी ने कहा, प्राथमिक जांच में पता चला है कि डीलर ने मई में सिर्फ 60 फीसदी और जून में 7 फीसदी खाद्यान्न ही वितरित किया था। जिला आपूर्ति पदाधिकारी विशाल कुमार ने बताया कि उन्होंने बीडीओ को 25 जून को यानी आज राशन वितरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। कई महीनों से लोगों का राशन बकाया था
ग्रामीणों के अंगूठे का निशान लेकर पर्ची निकाल ली जाती थी लेकिन राशन नहीं दिया जा रहा था। कई लाभुकों के पास पहले के राशन बकाया की चार या पांच पर्ची पहले से पड़ी थी। सोमवार को भी लाभुकों का अंगूठा लेकर पर्ची निकाल रही थी तो लाभुकों ने पिछले माह का राशन देने की मांग करने लगे। इसपर सुमरी महारानी ने इनकार किया तो ग्रामीण भड़क गए।

पहले भी हुई थी शिकायत
ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी पीडीएस वितरण करने वाली महिला के खिलाफ शिकायत हुई थी। बीडीओ ने जांच का भरोसा दिया था लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। रविवार को उसके घर पर चावल वितरण के लिए था लेकिन जब दूसरे दिन लोग चावल लेने पहुंचे थे वहां चावल नहीं था। सुमरी महारानी ओडमो पंचायत के केतोपोका, तालखोडा, मधुबन और धोबाचापड़ गांव के लाभुकों को अनाज का वितरण करती है। कई ग्रामीण छह किमी दूर से पैदल चल कर राशन लेने आते हैं। ऐसे में उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।

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