Sengol: संसद के संयुक्त सत्र को जब संबोधित करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद भवन पहुंचीं तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वागत किया. इस अवसर पर एक अधिकारी हाथ में ‘राजदंड’ (सेंगोल) लिए हुए था.
सपा ने सेंगोल को हटाकर संविधान रखने की मांग की
समाजवादी पार्टी ने सेंगोल को लेकर बड़ी मांग कर दी. जिससे विवाद बढ़ गया. सपा ने कहा, संसद भवन में सेंगोल को हटाकर संविधान को रखना चाहिए. जिसपर विवाद बढ़ गया और बीजेपी ने सपा पर जमकर निशाना साधा. सपा सांसद आरके चौधरी ने सेंगोल को हटाकर संविधान रखने की मांग की. उन्होंने कहा, संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में सेंगोल को स्थापित किया है. ‘ सेनगोल ‘ का अर्थ है ‘राज-दंड’ या ‘राजा का डंडा’. राजसी व्यवस्था को समाप्त करने के बाद देश स्वतंत्र हुआ. क्या देश ‘राजा के डंडे’ से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए.
मीसा भारती ने भी हटाने की मांग कर दी
राजद सांसद मीसा भारती ने भी संसद भवन से सेंगोल को हटाने की मांग की दी. उन्होंने कहा, इसे हटाया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक देश है. सेंगोल को संग्रहालय में रखा जाना चाहिए, जहां लोग आकर इसे देख सकें.
बीजेपी ने किया पलटवार
बीजेपी ने मीसा भारती और सपा सांसद आरके चौधरी के बयान पर पलटवार किया. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा, सेंगोल जब स्थापित हुआ था समाजवादी पार्टी उस वक्त भी सदन में थी, उस वक्त इनके सांसद क्या कर रहे थे? वहीं सपा सांसद आरके चौधरी की टिप्पणी पर केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा, उन्होंने क्या सोचा है कि रोज कुछ ऐसी बात बोलें जिससे हम चर्चा में आ जाएं. इन बातों का कोई अर्थ नहीं है.
क्या है सेंगोल
सेंगोल को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार किया था. सेंगोल को नये संसद भवन में स्पीकर सीट के पास रखा गया है. सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक है. सेंगोल चोल साम्राज्य से जुड़ा है. सेंगोल जिसको प्राप्त होता है उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है. सेंगोल को संस्कृत के संकु शब्द से लिया गया है. जिसका अर्थ शंख होता है. सेंगोल भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक था. सेंगोल सोने या फिर चांदी के बने होते हैं. जिसे कीमती पत्थरों से सजाया जाता था. सेंगोल का सबसे पहले इस्तेमाल मौर्य साम्राज्य में किया गया था. उसके बाद चोल साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य में किया गया था. इसका इस्तेमाल आखिरी बार मुगल काल में किया गया था. हालांकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी भारत में अपने अधिकार के प्रतिक के रूप में इसका इस्तेमाल किया गया था.
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