रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भले ही चीन का दौरा किया हो। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भले ही शी जिनपिंग के साथ बैठकर कई डील की हो। लेकिन वो उतनी बड़ी नहीं होंगी, जितनी बड़ी पुतिन ने भारत के साथ करने का मन बनाया है। रूस और भारत के बीच एक ऐसी रक्षा डील होने वाली है, जिससे चीन भी खौफ खा रहा है। एक ऐसी रक्षा डील जो भारत को मजबूती देगा और रूस भारत के संबंधों को आधार भी प्रदान करेगा। खबर आ रही है कि कई सालों के इंतजार के बाद भारत रूस आपसी रसद समझौता फाइनल होने की कगार पर है। रूस ने पिछले सप्ताह ही इस डील को मंजूरी दे दी है।
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ये समझौता अभ्यास, प्रशिक्षण, बंदरगाह, मानवीय सहायता, आपदा राहत प्रयासों के लिए सैन्य से सैन्य आदान-प्रदान को सरल बनाएगा। यानी ये आर्मी टू आर्मी होगा। इंडियन आर्मी और रशियन आर्मी मिलकर बड़े पैमाने पर ऐसे अभियानों में साथ मिलकर भाग लेंगे, जो दोनों देशों के मदद के काम आ सके। ये ऐसे समझौतों की पूरी श्रृंखला है जिसपर भारत ने 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ शुरुआत करते हुए कई देशों के साथ हस्ताक्षर किए थे। रूस ने भी इसके साथ आगे आकर भारत को अपना समर्थन दे दिया है। रूस ने भारत के साथ हस्ताक्षर किए जाने वाले रसद समझौते के मसौदे को अब मंजूरी दे दी है।
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ये समझौता कई सालों से भारत और रूस के बीच अटका पड़ा था। इसमें अभ्यास, प्रशिक्षण, बंदरगाह आपदा राहत के लिए सैन्य आदान प्रदान को शामिल करना है। यानी जब कभी दोनों देशों को एक दूसरे की जरूरत होगी तब आर्मी टू आर्मी यानी सेना से सेना तक काम किया जाएगा। इसमें वॉर एक्सरसाइज, ट्रेनिंग और इसके साथ ही बंदरगाहों को मजबूत करने के लिए आपदा राहत के लिए सैन्य शक्ति प्रदान करना शामिल होगा। इसमें कई सुविधाएं दी जाएंगी। जिससे दोनों देशों की सेनाओं को मजबूती मिलेगी। अब इसे प्रभावी करने से पहले दोनों देशों के बीच हस्ताक्षर होंगे।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भले ही चीन का दौरा किया हो। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भले ही शी जिनपिंग के साथ बैठकर कई डील की हो। लेकिन वो उतनी बड़ी नहीं होंगी, जितनी बड़ी पुतिन ने भारत के साथ करने का मन बनाया है। रूस और भारत के बीच एक ऐसी रक्षा डील होने वाली है, जिससे चीन भी खौफ खा रहा है। एक ऐसी रक्षा डील जो भारत को मजबूती देगा और रूस भारत के संबंधों को आधार भी प्रदान करेगा। खबर आ रही है कि कई सालों के इंतजार के बाद भारत रूस आपसी रसद समझौता फाइनल होने की कगार पर है। रूस ने पिछले सप्ताह ही इस डील को मंजूरी दे दी है।
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ये समझौता अभ्यास, प्रशिक्षण, बंदरगाह, मानवीय सहायता, आपदा राहत प्रयासों के लिए सैन्य से सैन्य आदान-प्रदान को सरल बनाएगा। यानी ये आर्मी टू आर्मी होगा। इंडियन आर्मी और रशियन आर्मी मिलकर बड़े पैमाने पर ऐसे अभियानों में साथ मिलकर भाग लेंगे, जो दोनों देशों के मदद के काम आ सके। ये ऐसे समझौतों की पूरी श्रृंखला है जिसपर भारत ने 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ शुरुआत करते हुए कई देशों के साथ हस्ताक्षर किए थे। रूस ने भी इसके साथ आगे आकर भारत को अपना समर्थन दे दिया है। रूस ने भारत के साथ हस्ताक्षर किए जाने वाले रसद समझौते के मसौदे को अब मंजूरी दे दी है।
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ये समझौता कई सालों से भारत और रूस के बीच अटका पड़ा था। इसमें अभ्यास, प्रशिक्षण, बंदरगाह आपदा राहत के लिए सैन्य आदान प्रदान को शामिल करना है। यानी जब कभी दोनों देशों को एक दूसरे की जरूरत होगी तब आर्मी टू आर्मी यानी सेना से सेना तक काम किया जाएगा। इसमें वॉर एक्सरसाइज, ट्रेनिंग और इसके साथ ही बंदरगाहों को मजबूत करने के लिए आपदा राहत के लिए सैन्य शक्ति प्रदान करना शामिल होगा। इसमें कई सुविधाएं दी जाएंगी। जिससे दोनों देशों की सेनाओं को मजबूती मिलेगी। अब इसे प्रभावी करने से पहले दोनों देशों के बीच हस्ताक्षर होंगे।