अगर लंबे समय तक खाई को घूरेंगे तो खाई भी आपको घूरने लगेगी।” जर्मन दार्शनिक नीत्शे का एक क्योट है। डेढ़ सौ साल पहले कही गई ये बात अब हमारे पड़ोस में साकार हो रही है। पाकिस्तान तालिबान को घूर रहा है, लेकिन क्यों ? क्योंकि तालिबान की परछाई उसके अपने घर में आकार ले रही है। पाकिस्तान वैसे तो आतंकवाद को पालने वाला देश माना जाता है टीटी के आतंक से परेशान होकर देश में आतंकवाद खत्म करने के लिए एक सैन्य अभियान चलाने का ऐलान किया है। लेकिन इस अभियान में पाकिस्तान कामयाब होता हुआ नहीं दिख रहा है। 

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हाल ही में पाकिस्तान की सरकार ने नाम की सैन्य अभियान को मंजूरी दी है। पाकिस्तान की सरकार का कहना है कि इस सैन्य अभियान का उद्देश्य टीटीपी और दूसरे आतंकी गुटों से लड़ना है। शहबाज शरीफ के कार्यालय की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई है। लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने इसकी अभी पूरी तरह से तैयारी नहीं की है। ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेकाम (स्थिरता का संकल्प) के ऐलान के तुरंत बाद से ही अमेरिका से हथियारों की मांग शुरू कर दी है। पाकिस्तान ने अमेरिका से छोटे हथियार की मांग की है। 

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पाकिस्तानी मीडिया संस्थान जियो न्यूज के मुताबिक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मुसुद खान ने वाशिंगटन डीसी में विलशन सेंटर के एक कार्यक्रम में कहा कि ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेकाम (स्थिरता का संकल्प) की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उनके देश को छोटे हथियारों और दूसरे आधुनिक सैन्य उपकरणों की आवश्यकता है। मुसुद खान ने ये भी कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका को अपने संबधों को मजबूत करने के लिए दूसरे मोर्चे के साथ भी खुफिया सहयोग भी बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही सैन्य प्लेटफॉर्मों की बिक्री फिर से शुरू करनी चाहिए। यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को रोकने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

अगर लंबे समय तक खाई को घूरेंगे तो खाई भी आपको घूरने लगेगी।” जर्मन दार्शनिक नीत्शे का एक क्योट है। डेढ़ सौ साल पहले कही गई ये बात अब हमारे पड़ोस में साकार हो रही है। पाकिस्तान तालिबान को घूर रहा है, लेकिन क्यों ? क्योंकि तालिबान की परछाई उसके अपने घर में आकार ले रही है। पाकिस्तान वैसे तो आतंकवाद को पालने वाला देश माना जाता है टीटी के आतंक से परेशान होकर देश में आतंकवाद खत्म करने के लिए एक सैन्य अभियान चलाने का ऐलान किया है। लेकिन इस अभियान में पाकिस्तान कामयाब होता हुआ नहीं दिख रहा है। 

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हाल ही में पाकिस्तान की सरकार ने नाम की सैन्य अभियान को मंजूरी दी है। पाकिस्तान की सरकार का कहना है कि इस सैन्य अभियान का उद्देश्य टीटीपी और दूसरे आतंकी गुटों से लड़ना है। शहबाज शरीफ के कार्यालय की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई है। लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने इसकी अभी पूरी तरह से तैयारी नहीं की है। ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेकाम (स्थिरता का संकल्प) के ऐलान के तुरंत बाद से ही अमेरिका से हथियारों की मांग शुरू कर दी है। पाकिस्तान ने अमेरिका से छोटे हथियार की मांग की है। 

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पाकिस्तानी मीडिया संस्थान जियो न्यूज के मुताबिक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मुसुद खान ने वाशिंगटन डीसी में विलशन सेंटर के एक कार्यक्रम में कहा कि ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेकाम (स्थिरता का संकल्प) की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उनके देश को छोटे हथियारों और दूसरे आधुनिक सैन्य उपकरणों की आवश्यकता है। मुसुद खान ने ये भी कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका को अपने संबधों को मजबूत करने के लिए दूसरे मोर्चे के साथ भी खुफिया सहयोग भी बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही सैन्य प्लेटफॉर्मों की बिक्री फिर से शुरू करनी चाहिए। यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को रोकने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।