सेवा स्थाई करने की मांग को लेकर एक बार फिर राज्य भर के 2200 सहायक पुलिस आंदोलन पर उतर गए हैं। रविवार को पलामू जिले के 157 सहायक पुलिकर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया। सोमवार को सभी सामूहिक उपवास पर रहेंगे और रांची के लिए कूच करेंगे। मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे और मांगों के पूरा होने तक रांची में ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे।
छत्तीसगढ़ की तर्ज पर कर रहे मांग
संगठन के प्रदेश सचिव विवेकानंद गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ की तरह सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा आरक्षी संवर्ग में समायोजित कर स्थाई सेवा पुलिस विभाग में दी जाए। सात वर्ष की सेवा में सहायक पुलिसकर्मियों ने 2020 में 15 दिनों तक आंदोलन किया था। मंत्री मिथिलेश ठाकुर और विधायक बंधु तिर्की ने स्थायी करने का आश्वासन दिया था। जब उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो फिर से 2021 में 35 दिनों तक आंदोलन किया। सरकार स्तर पर 60 दिनों में मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिया गया। मगर यह भी सिर्फ आश्वासन बनकर ही रह गया। तीन साल के बाद एक बार फिर अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन कर रहे हैं। 12 जिलों में हैं सहायक पुलिसकर्मी
वर्ष 2017 में रघुवर दास की सरकार ने नक्सल प्रभावित राज्य के 12 जिलों पलामू, चतरा, चाईबासा, जमशेदपुर, गढ़वा, दुमका, लातेहार, गुमला, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, गिरिडीह में सहायक पुलिकर्मी का नियुक्ति किया था। पुलिस के तमाम कार्यालयों के साथ चेक पोस्ट, ट्रैफिक, थाना, टीओपी में अपनी सेवा देते आ रहे हैं। रघुवर दास की सरकार ने 3 वर्ष की सेवा अवधि के बाद सभी पुलिसकर्मियों को स्थाई करने का आश्वासन दिया था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बीच हेमंत सरकार भी आई लेकिन इस कार्यकाल में भी सहायक पुलिसकर्मी नियमित नहीं किए गए।

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