<p style=”text-align: justify;”><strong>Arvind Kejriwal Bail Row:</strong> सुप्रीम कोर्ट ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के फैसले पर हाई कोर्ट की ओर से अंतरिम रोक लगाते हुए फैसला सुरक्षित रखने की कार्रवाई को सोमवार (24, जून) को असामान्य करार दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते समय हाई कोर्ट की ओर से लगाई गई अंतरिम रोक के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई के लिए 26 जून की तारीख तय की है.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>पीठ ने क्या कहा?</h3>
<p style=”text-align: justify;”>पीठ ने कहा, &lsquo;&lsquo;सामान्यत: रोक लगाने की अर्जी पर फैसला सुरक्षित नहीं रखा जाता. उन्हें सुनवाई के दौरान मौके पर ही पारित कर दिया जाता है. इसलिए, यह थोड़ा असामान्य है.&rsquo;&rsquo; पीठ ने कहा कि वह आप के राष्ट्रीय संयोजक की अपील पर फैसला करने से पहले हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जमानत आदेश पर अंतरिम रोक हटाने का अनुरोध किया.&nbsp;हाई कोर्ट में 21 जून के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए सिंघवी ने कहा कि 20 जून को जमानत दिए जाने के बाद, ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने एक अवकाश पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट की सुनवाई का किया जिक्र</h3>
<p style=”text-align: justify;”>अधिवक्ता ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है 21 जून को उल्लेख के दौरान ही मेरी उपस्थिति में न्यायाधीश ने आदेश पर रोक लगा दी. उन्होंने कहा कि इसके बाद न्यायाधीश ने उस दिन कुछ समय के लिए हमारे मामले की सुनवाई की और फिर आदेश सुरक्षित रख लिया.&nbsp;सिंघवी ने कहा, &lsquo;&lsquo;अगर फैसला पलट दिया जाता है तो वह व्यक्ति वापस जेल चला जाएगा जैसा कि उन्होंने तब किया था, जब वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत तीन सप्ताह के लिए बाहर थे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तीन सप्ताह के लिए बाहर रहने का निर्देश दिया था और इसके तुरंत बाद वह वापस चले गए. दूसरा, उनके भागने का जोखिम नहीं है.”</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>क्या बोले केजरीवाल के वकील सिंघवी</h3>
<p style=”text-align: justify;”>पीठ ने सिंघवी से कहा, &lsquo;&lsquo;अगर हम इस स्तर पर कोई आदेश पारित करते हैं तो यह पहले ही फैसला सुना देना होगा जबकि यह मामला हाई कोर्ट में लंबित है.&rsquo;&rsquo; इसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट ने 21 जून को पक्षों से जमानत पर रोक की अंतरिम राहत पर लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था.&nbsp;पीठ ने कहा, &lsquo;&lsquo;दोनों पक्षों को 24 जून तक संक्षिप्त दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया गया है, जो दो-तीन पृष्ठों से अधिक की न हो. इसलिए उम्मीद है कि फैसला जल्द ही सुनाया जाएगा, शायद एक या दो दिन में.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>सिंघवी ने कहा कि ईडी की ओर से मांगी गई अंतरिम राहत पर आदेश सुरक्षित रख लिया गया है, जबकि मुख्य मामला अब भी लंबित है, और यदि जमानत देने के आदेश को पलट दिया जाता है तो केजरीवाल दो जून की तरह वापस जेल चले जाएंगे.&nbsp;उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;मैं मुक्त क्यों नहीं हो सकता. मेरे भागने का जोखिम नहीं है. आदेश पलटते ही मैं वापस जेल चला जाऊंगा. मेरे पक्ष में फैसला है.&rsquo;&rsquo;</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>जनरल तुषार मेहता ने रखा ईडी का पक्ष</h3>
<p style=”text-align: justify;”>ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने केजरीवाल की याचिका का विरोध किया और कहा कि हाई कोर्ट उसकी रोक संबंधी याचिका पर फैसला सुनाने वाला है.&nbsp;पीठ ने राजू से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 के तहत दोनों शर्तों के बारे में पूछा कि क्या वे पूरी की गई थीं.&nbsp;इस पर एएसजी ने कहा कि उन्हें विस्तार से बहस करने और जवाब दाखिल करने का मौका नहीं दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि दोनों शर्तें पूरी नहीं की गईं क्योंकि निचली अदालत ने खुद कहा था कि उसने रिकॉर्ड का अध्ययन नहीं किया है और राजू को अपने मामले पर बहस करने के लिए यथोचित समय नहीं दिया गया था.&nbsp;धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 के तहत, एक आरोपी को इन दो शर्तों के अधीन जमानत दी जा सकती है कि अदालत प्रथम दृष्टया संतुष्ट हो कि वह इस तरह के अपराध का दोषी नहीं है और अभियोजक को जमानत के लिए आवेदन का विरोध करने का अवसर दिया गया है.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>सिंघवी ने पीठ से किया अनुरोध</h3>
<p style=”text-align: justify;”>सिंघवी ने पीठ से अनुरोध किया कि वह हाई कोर्ट के फैसले पर सुनाए जाने से पहले ही रोक लगाये. इसपर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यदि हाई कोर्ट कोई गलती करता है, तो शीर्ष अदालत को यही गलती क्यों दोहरानी चाहिए. हाई कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को निचली अदालत से जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को उनकी रिहाई पर रोक लगा दी थी.&nbsp;अगर हाई कोर्ट धन शोधन निरोधक संघीय एजेंसी को अंतरिम रोक संबंधी राहत नहीं देता तो आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल गत शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे. उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>निचली अदालत ने क्या दिया था आदेश</h3>
<p style=”text-align: justify;”>निचली अदालत ने अपने जमानत आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया केजरीवाल का दोष अभी साबित नहीं किया गया है और ईडी धन शोधन मामले में अपराध से मिली आय से उनके संबंध को लेकर कोई स्पष्ट सबूत पेश करने में नाकाम रही है.&nbsp;दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से इसकी जांच कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद इसे 2022 में रद्द कर दिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a title=”गवाहों को जमानत का लालच, ED के पास सबूत नहीं… कोर्ट में अरविंद केजरीवाल के वकील ने दलील में क्या कहा?” href=”https://www.abplive.com/news/india/arvind-kejriwal-files-reply-in-high-court-delhi-liquor-scam-case-delhi-cm-bail-ed-2722501″ target=”_self”>गवाहों को जमानत का लालच, ED के पास सबूत नहीं… कोर्ट में अरविंद केजरीवाल के वकील ने दलील में क्या कहा?</a></strong></p>