बीजिंग । चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग इस सप्ताह कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 24वें शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि वह ताजिकिस्तान की राजकीय यात्रा भी करेंगे। मंत्रालय ने कहा कि दो से छह जुलाई तक राष्ट्रपति चिनपिंग अस्ताना में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक में भाग लेंगे। अधिकारियों का कहना है कि शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, रूस-यूक्रेन युद्ध और एससीओ सदस्य देशों के बीच समग्र सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा होने की उम्मीद है।
एससीओ में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल है। इससे पहले, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक होने की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में हाल में हुए आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी सरकार के गठन के बाद भारतीय और चीनी अधिकारियों के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक होगी।
बीजिंग । चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग इस सप्ताह कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 24वें शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि वह ताजिकिस्तान की राजकीय यात्रा भी करेंगे। मंत्रालय ने कहा कि दो से छह जुलाई तक राष्ट्रपति चिनपिंग अस्ताना में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक में भाग लेंगे। अधिकारियों का कहना है कि शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, रूस-यूक्रेन युद्ध और एससीओ सदस्य देशों के बीच समग्र सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा होने की उम्मीद है।
एससीओ में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल है। इससे पहले, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक होने की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में हाल में हुए आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी सरकार के गठन के बाद भारतीय और चीनी अधिकारियों के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक होगी।