<p style=”text-align: justify;”><strong>Sheikh Hasina Meet PM Modi:</strong>&nbsp;बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दो दिवसीय दौरे पर भारत आई हुई हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के बीच शनिवार (22 जून) को लंबी बातचीत के बाद कई समझौतों को अंतिम रूप दिया गया. इस दौरान भारत ने बंग्लादेश को तीस्ता नदी के संरक्षण वाले प्रोजेक्ट में अपनी रुचि दिखाया है. दूसरी तरफ चीन भी एक अरब डॉलर की इस परियोजना पर नजर बनाए हुए है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दोनों देश के प्रधानमंत्री ने व्यापार, डिजिटल मुद्दों और कनेक्टिविटी में सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहलों हस्ताक्षर किए. बंग्लादेशी पीएम के साथ बतचीत के बाद मीडिया से बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि भारत का एक तकनीकी दल जल्द ही तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर ढाका का दौरा करेगा. तीस्ता नदी भारत और बंग्लादेश के बीच 54 नदियों में से एक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा, &lsquo;&lsquo;आज हमने नये क्षेत्रों में सहयोग के वास्ते भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण तैयार किया है. हरित साझेदारी, डिजिटल भागीदारी, समुद्री अर्थव्यवस्था और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर बनी सहमति से दोनों देशों के युवाओं को लाभ मिलेगा.&rsquo;&rsquo; वहीं, अपनी टिप्पणी में बंग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने भारत को बांग्लादेश का प्रमुख पड़ोसी और एक विश्वसनीय मित्र बताया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बंग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने कहा, “आज हमारी बहुत ही सार्थक बैठकें हुईं, जिसमें हमने सुरक्षा, व्यापार, संपर्क, साझा नदियों के पानी के बंटवारे, बिजली और ऊर्जा तथा क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की. हम अपने लोगों और देशों की बेहतरी के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने पर सहमत हुए हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि साझा जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामला है. उन्होंने आगे कहा, &ldquo;दोनों नेताओं ने तीस्ता के संरक्षण पर चर्चा की, जिसके लिए उचित तकनीकी प्रबंधन की आवश्यकता है. दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि एक भारतीय तकनीकी टीम इस पर काम करने की पहले करेगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर चीन ने 1 अरब डॉलर के खर्च का अनुमान लगाते हुए इसका औपचारिक प्रस्ताव बंग्लादेश के सामने पेश किया था, जिस पर भारत ने किसी चीनी फर्म को काम दिए जाने के लोकर आपत्ति जताई थी.</p>